Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2019 · 4 min read

“आरंभ नवीन जिंदगी का”

अमर सुनो बेटा तुम्‍हें बहु सीमा को लेकर जाना है अमेरिका तो जाओ बेटा मैं रोकूँगी नहीं पर हां जब तक तेरे बाबुजी की तबियत नासाज रहने लगी है और रिटायरमेंट भी नजदीक ही है, “तब तक बीच-बीच में मिलने आ जाया करना बेटा” ।

हां मां वर्ष में एक बार ही तो अवकाश मिलता है हमें, तो हम जरूर आएंगे । क्‍या करें मां पढ़ाई-लिखाई आपने कराई, “अब योग्‍यतानुसार हम दोनों भाईयों को अमेरिका में जॉब मिली है तो करनी तो पड़ेगी ही न “?

सोमा और राजेश हमेशा आपस में परामर्श किया करते यॅूं ही । ” जिंदगी की इन राहों में समय बहते पानी के प्रवाह की तरह कैसे गुजर गया, कुछ पता नहीं चला और दोनों बेटे भी देखते ही देखते बड़े हो गए”, उनकी उच्‍च शिक्षा पूर्ण होकर जॉब भी मिल गई और एक बेटे अमर की शादी भी हो गई, दूसरे बेटे अजय की भी हो ही जाएगी । “बस इस सफर में समस्‍त जिम्‍मेदारियों को पूर्ण करते हुए रह गए तो सिर्फ हम अकेले”, परंतु ऐसा सोचना नहीं सोमा ने राजेश से कहा ।

अरे राजेश वैसे भी बच्‍चे आजकल की व्‍यस्‍ततम जिंदगी में व्‍यस्‍त रहेंगे, तो हमें तो अपनी जिंदगी अब अपनी मर्जी से जीनी है न ? “देखो भाई राजेश मैने तो हिंदी साहित्‍य-लेखन का अच्‍छा क्षेत्र चुन लिया है पहले से ही अपने लिए”, अब आप भी रिटायरमेंट पर कोई जरिया जरूर ढूंढ लिजीए अपने लिए । हॉं सोमा जानता हॅूं रिटायरमेंट के बाद मैने पहले ही सोच लिया है,” मैं बागवानी करूंगा, जिससे सकारात्‍मकता तो आएगी ही और समय भी व्‍यतीत हो जाएगा “। इसके अलावा मुझे किताबें, उपन्‍यास पढ़ने का भी काफी शौक रहा है शुरू से,खेल में तो रूचि थी ही पर नौकरी करते हुए वह शौक पूरे नहीं हो पाए, जो अब मैं पूरे कर सकता हॅूं और ऐसे कई शौक जो अधुरे रह गए हैं, “चाहे वे तुम्‍हारे हों या मेरे उन्‍हें पूरा करने का अवसर अब आया है हमारे लिए” , जिनसे हम दोनों को नवीन जिंदगी का आरंभ करना है ।

इतने में अमर का फोन आता है, वह माता-पिता से कहता है गुड़ न्‍यूज है, आप लोग दादा-दादी बनने वाले हैं, यह सुनते ही राजेश और सोमा का खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह तो अच्‍छा हुआ कि पहले से ही विदेश जाने के लिए पास-पोर्ट बना ही हुआ था, बस अब वीजा लेकर सीमा के पास जाने की तैयारी करने लगे । “अमर ने बताया सीमा के माता-पिता भी वहीं आने वाले हैं, बस फिर क्‍या था वैसे तो नए मेहमान को आने में अभी 3 माह का समय था, परंतु दादा-दादी बनने की खुशी चरम सीमा पर थी “। सब कुछ भूलकर अब सिर्फ नए मेहमान का इंतजार और आतूरता के साथ जाने की तैयारी जारी थी ।

“इसी दौरान राजेश का रिटायरमेंट भी निश्चित था, सो छोटी सी पार्टी रखी, जिसमें खास-खास रिश्‍तेदारों को ही बुलाया था”, अमर आया सिर्फ, उसे माता-पिता को साथ में भी तो ले जाना था । अजय को अवकाश नहीं मिलने के कारण वह नही आ पाया । बहरहाल रिटायरमेंट पार्टी की खुशी को बरकरार रखते हुए सभी अमेरिका के लिए रवाना हो जाते हैं ।

“वहॉं पहुँचते ही दस दिनों में ही अमर और सीमा को पुत्र रत्‍न की प्राप्ति लेकर आई परिवार में खुशियों की बहार, दादा-दादी और नाना-नानी जो मौजूद थे”, इनकी खुशियों में बराबरी के साथ, मानों जैसे इनका बचपन लौटकर आया हो ।

“दादी और नानी तो लग गईं, जच्‍चा-बच्‍चा की लगातार सेवा में दो माह बाद नामकरण संस्‍कार जो होना था “। समय व्‍यतीत होते देर नहीं लगती, वह एक पल में आगे निकल जाता है और इसी तरह से नामकरण संस्‍कार की विधि भी पूर्ण हो जाती है । “अमर और सीमा यही सोचकर खुश हैं कि विदेश में बसने के बाद भी दोनों के माता-पिता हमारी इस खुशी में आनंदपूर्वक शामिल हुए “।

फिर दोनों के माता-पिता का भारत लौटने का समय आता है, “तब अमर और सीमा उनको बताते हैं कि अजय ने भी शादी के लिए यहीं की लड़की पसंद कर ली है, बस विवाह के लिए आपके ही आशीर्वाद की जरूरत है “। राजेश और सीमा मन ही मन खुश होते हुए इस शादी के लिए राजी हो जाते हैं और कहते हैं कि हमारी सिर्फ एक ही शर्त रहेगी कि अजय की शादी हम भारत में ही करेंगे ।

“दोनों समधी और समधनें साथ में ही खुशी-खुशी अपने घर लौट आते हैं “। राजेश और सीमा आपस में बोलते हुए “ वर्तमान की इस व्‍यस्‍ततम जिंदगी के दौर में अपने बच्‍चों की खुशी में ही अपनी खुशी है ” हम इनकी जिंदगी की तुलना अपनी जिंदगी से कभी नहीं कर सकते और न ही अपेक्षा कर सकते हैं, “क्योंकि समय का दौर एक जैसा नहीं रहता, वह भी परिवर्तित होता रहता है” । इसलिये इस नई पीढ़ी को इस नए परिवेश में जीना आज की आवश्‍यकता हो गई है और “साथ ही हमें भी इनकी खुशियों को अपनाते हुए नवीन जिंदगी का आरंभ करना होगा,हमें अधुरे शौक पूरे जो करना है “।

जी हॉं पाठकों, अपनी आख्‍या के माध्‍यम से बताईएगा जरूर, आपको मेरा यह ब्‍लॉग कैसा लगा ? मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा और हॉं आप सभी मेरे अन्‍य ब्‍लॉग पढ़ने हेतु भी आमंत्रित हैं , आप मुझे फॉलो भी कर सकते हैं ।

आरती अयाचित, भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 734 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
Manisha Manjari
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
अपनी आवाज में गीत गाना तेरा
अपनी आवाज में गीत गाना तेरा
Shweta Soni
बिन उत्तर हर प्रश्न ज्यों,
बिन उत्तर हर प्रश्न ज्यों,
sushil sarna
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारा है या चेतावनी
नारा है या चेतावनी
Dr. Kishan tandon kranti
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
सत्य कुमार प्रेमी
दो घूंट
दो घूंट
संजय कुमार संजू
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Kanchan verma
दिल में कोई कसक-सी
दिल में कोई कसक-सी
Dr. Sunita Singh
छठ गीत
छठ गीत
Shailendra Aseem
इतने  बीमार  हम  नहीं  होते ,
इतने बीमार हम नहीं होते ,
Dr fauzia Naseem shad
मंजिल
मंजिल
Kanchan Khanna
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
आज की नारी
आज की नारी
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
*डॉ. विश्व अवतार जैमिनी की बाल कविताओं का सौंदर्य*
*डॉ. विश्व अवतार जैमिनी की बाल कविताओं का सौंदर्य*
Ravi Prakash
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
पूर्वार्थ
हां वो तुम हो...
हां वो तुम हो...
Anand Kumar
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
आज जो तुम तन्हा हो,
आज जो तुम तन्हा हो,
ओसमणी साहू 'ओश'
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
©️ दामिनी नारायण सिंह
तू बदल गईलू
तू बदल गईलू
Shekhar Chandra Mitra
यादों की है कसक निराली
यादों की है कसक निराली
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
4051.💐 *पूर्णिका* 💐
4051.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
मेरा वजूद क्या
मेरा वजूद क्या
भरत कुमार सोलंकी
वो तो है ही यहूद
वो तो है ही यहूद
shabina. Naaz
Loading...