आये हो मिलने तुम,जब ऐसा हुआ
शेर- तुमको अपना तो कहे, लेकिन अपनों में क्या कहे।
तुमको अपना हमदर्द कहे, या तुमको फिर बेदर्द कहे।।
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आये हो मिलने तुम, जब ऐसा हुआ।
मरघट को जनाजा, रवाना हुआ।।
आये हो मिलने तुम—————।।
कुछ ही फासले पर , तुम रहते थे।
तुमको जानेजिगर, हम कहते थे।।
चेहरा तुमने दिखाया, जब ऐसा हुआ।
जब जलकर चिता में, खाक हुआ।।
आये हो मिलने तुम—————–।।
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शेर- ऐसे भी आये थे मिलने, जिनको गैर हम कहते थे।
करते थे जिनको नापसंद, देखना पसंद नहीं करते थे।।
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खबर तुमने सुनी,तुम फुरसत में थे।
हमसे कह दिया, तुम मजलिस में थे।।
याद आया तुम्हें, जब ऐसा हुआ।
इस दुनिया से जब , अलविदा हुआ।।
आये हो मिलने तुम——————।।
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शेर- बहुत महशूर हो तुम, गुमनाम हम भी नहीं।
पूछते हैं हमको भी लोग, बदनाम हम भी नहीं।।
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दौलतवाले हो तुम, क्यों जमीं देखोगे।
हम यतीम-मुफलिसों से, क्यों मिलोगे।।
तुम्हें आई शर्म, जब ऐसा हुआ।
हाल तुम्हारा जब , मेरे जैसा हुआ।।
आये हो मिलने तुम——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ साहित्यकार-
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)