आयेगा तो वही ,चाहे किडनी भी
ढुंडो- ढुंडो विकास कहां ?
क्यों चिल्लाते वो नालायको
तुम वामपंथी ,आन्दोलनजीवी हो
देश के बदनामी की साजिश रचते हो
महंगाई बढ़ी , रोजगार गया
मत पूछो कोरोना से कितने मरे ?
कब मिलेगा सबको टीका
मत कहो ढुंडो- ढुंडो विकास कहां ?
क्या जरुरत हैं इतना चिल्लाने की
भाभीजी का पापड़ खावो , गोबर से नहावो
ताली , बजावो , थाली बजावो ,दिप बुझावो
कहते रहो गो कोरोना – गो कोरोना
मत पूछो क्या यही हैं अच्छे दिन ?
क्या बन गये हम विश्वगुरु ?
शेर पाला हैं तो बर्दाश्त करना होगा
सवाल पूछकर देशद्रोह मत करो
तीन बंदर याद हैं ना ? वही करो
कुछ मत बोलो , बस देखते रहो
हो सके तो मन की बात सुनो
अच्छे दिन आये , विश्वगुरु भी बन गये
हर तरफ डंका बज रहा हैं साहब का,
दिखाई नहीं देता ? तुम्हे निकम्मो
देशहित में इतना भी नहीं कर सकते ?
आयेगा तो वही ,चाहे किडनी भी बेचनी पड़े