आयु होती क्षीण,
आयु होती क्षीण, यदि निन्दा करें विद्वान की,
तप नष्ट होता जायेगा, यदि मान्यता अभिमान की l
झूठ बोला तो समझ लो, नष्ट होगा यज्ञ फल,
दूसरों से यदि कही, महिमा कहाँ फिर दान की l
आयु होती क्षीण, यदि निन्दा करें विद्वान की,
तप नष्ट होता जायेगा, यदि मान्यता अभिमान की l
झूठ बोला तो समझ लो, नष्ट होगा यज्ञ फल,
दूसरों से यदि कही, महिमा कहाँ फिर दान की l