आयी वसंत की होली
आयी बसंत की होली
मीठी लगती है बोली
रंग सराबोर है वन मे
लाल सुनहरी पीली
फाग का रंग चढा है
सब निकल पडी है टोली
प्रिय प्रियतम को रंग डाले
सब भीज गयी है चोली
फागुन के गीत सुनाए
मीठी लगती है बोली
कोई गुझिया पूडी खाये
कोई भंग सो रंग जमाए
कोई पकड के रंग लगाए
कोई करता हंसी ठिठोली
अबीर गुलाल लगे है
सुन्दर लगती है टोली
ढोल के थाप लगे है
सब रंग खेले हमजोली
भूल गये सब शिकवे
खुशियां लाती है होली
रंग उडे नभ तक है
उड रही अबीर और रोली
होली की शुभकामनाएं
विन्ध्यप्रकाश मिश्र
प्रवक्ता सरयूइंद्रा संग्रामगढ