आया सावन झूम के, झूमें तरुवर – पात।
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर – पात।
उमड़-घुमड़ बादल करें, घनन-घनन बरसात।।
परहित घन वर्षा करें, दें जग को बिन मोल।
बूँद-बूँद संचित करो, वर्षा – जल अनमोल।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर – पात।
उमड़-घुमड़ बादल करें, घनन-घनन बरसात।।
परहित घन वर्षा करें, दें जग को बिन मोल।
बूँद-बूँद संचित करो, वर्षा – जल अनमोल।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद