“”आया मैं तेरे गांव में””
एक दिन का मेहमान बन कर ,आया मैं तेरे गांव में।
नैना लड़े ,रुनझुन पायल बज रही थी तेरे पांव में।
दिल के कोने से आवाज आयी ,तू मुझको ऐसी भायी।
क्यों न डेरा डालकर बस जाऊं, मैं तेरे ही गांव में।।
मैंने मानी दिल की बात, करूंगा तुमसे मैं मुलाकात।
तुम निकली, मैं भी साथ चला, दोनों पहुंचे पीपल की छांव में।।
बोली कौन हो तुम? क्यों पीछे पीछे आए हो।
परदेसी हूं पर बसा लो मुझे, अपने नैनो के गांव में।।
फिर क्या था?
धीरे-धीरे बात बढ़ती गई, मैं उसे वह मुझे पढ़ती गई।
खो गए दोनों ही हम, एक दूजे के लगाव में।।
तब से आज तलक ,हम दोनों का साथ जारी है।
प्रेम से बीत रहा यह जीवन, बिना किसी तनाव में।।
राजेश व्यास अनुनय