आया देखो मधुमास,
आया देखो मधुमास,घोले मन में मिठास,प्रीत झाँक अँखियों में , सपने सजा रही
लाल लाल से हैं गाल, लाज का लगा गुलाल, आइने में देख मुख , गोरी शरमा रही
आँखों में घुली है भंग, हँसी के खिले हैं रंग, फागुनी बहार कैसी , चारों ओर छा रही
होती थी जो नज़रों से, नज़रों की मूक बात, आज वो निकल कर , होठों तक आ रही
डॉ अर्चना गुप्ता