*आया जाड़ा (बाल कविता)*
आया जाड़ा (बाल कविता)
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नन्हा सा खरगोश धूप को
सुबह-सुबह था खाता ,
मोटा हाथी देख – देखकर
उसकी हँसी उड़ाता
तभी छींक आई हाथी को
गला हो गया भारी ,
लगा काँपने ठंडक से
छींके आना फिर जारी
तब बोला खरगोश
ठंड की इज्जत करना सीखो,
मोटे हो तो क्या
जरसी को पहने तुम भी दीखो
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451