*आया जन्म दिवस मगर, कैसे कह दूॅं हर्ष (कुंडलिया)*
आया जन्म दिवस मगर, कैसे कह दूॅं हर्ष (कुंडलिया)
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आया जन्म दिवस मगर, कैसे कह दूॅं हर्ष
जीवन का लो घट गया, एक और फिर वर्ष
एक और फिर वर्ष, काल का डॅंसना जारी
आत्म-तत्व की खोज, अभी भी दुष्कर भारी
कहते रवि कविराय, व्यर्थ यह वर्ष गॅंवाया
असफल जाती आयु, समझ कुछ सार न आया
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451