आया करो
हे मुरलीमनोहर, केशव,गिरीधर
ऐसे न हमको सताया करो।
लुका छिपी नहीं मुमकिन कान्हा
हृदयाकाश पर आया करो।
विरहन को दे कलिकाल की धूप से मुक्ति,
प्रीत प्रेम की मधुर शीतल छत्रछाया करो।
लुका छिपी नहीं मुमकिन कान्हा
हृदयाकाश पर आया करो।
न मैं रुक्मिणी न मैं राधा,
मुझे मीरा नाम बुलाया करो।
सरस मधुर अनुराग ध्वनि भरी,
मुरली से हृदय हर्षाया करो।
लुका छिपी नहीं मुमकिन कान्हा
हृदयाकाश पर आया करो।
प्यासी अंखियां दर्श की तेरे,
हाय, हमको न तरसाया करो।
प्रिय विरहअग्नि में हमको
प्रियतम न झुलसाया करो।
लुका छिपी नहीं मुमकिन कान्हा
हृदयाकाश पर आया करो।
हँस के बोलो नीलम सबसे,
प्रेम से सबको बुलाया करो।
लुका छिपी नहीं मुमकिन कान्हा
हृदयाकाश पर आया करो।
नीलम शर्मा