Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व

आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्वर में गीत गाने लगती है वहीं पर पतझड़ आने पर उसे छोड़कर चली जाती है।
यानी की इससे सिद्ध होता है कि सभी लोग केवल अपने स्वार्थ के सिद्ध करने में लगे हुए है।
RJ Anand Prajapati

135 Views

You may also like these posts

कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
Manisha Wandhare
करवा चौथ@)
करवा चौथ@)
Vindhya Prakash Mishra
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकें अछि सम्मान एतय ! धर्म ,जात
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकें अछि सम्मान एतय ! धर्म ,जात
DrLakshman Jha Parimal
राम जैसा मनोभाव
राम जैसा मनोभाव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्रसव की प्रतीक्षा
प्रसव की प्रतीक्षा
Akash Agam
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
बड़ी बेरंग है ज़िंदगी बड़ी सुनी सुनी है,
बड़ी बेरंग है ज़िंदगी बड़ी सुनी सुनी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कैसे भूलूँ
कैसे भूलूँ
Dipak Kumar "Girja"
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
"पेंसिल और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
©️ दामिनी नारायण सिंह
समस्याएं भी निराश होती हैं
समस्याएं भी निराश होती हैं
Sonam Puneet Dubey
राम नाम की लहर
राम नाम की लहर
dr rajmati Surana
*Blessings*
*Blessings*
Veneeta Narula
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
वो चिट्ठी
वो चिट्ठी
C S Santoshi
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
शेखर सिंह
श्रृंगार
श्रृंगार
Neelam Sharma
'बेटी'
'बेटी'
Godambari Negi
अतीत एक साथ
अतीत एक साथ
Kaviraag
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
Monika Arora
बिना मांगते ही खुदा से
बिना मांगते ही खुदा से
Shinde Poonam
कलाकार
कलाकार
Shashi Mahajan
■अतीत का आईना■
■अतीत का आईना■
*प्रणय*
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
लड़की को लड़ना होगा
लड़की को लड़ना होगा
Ghanshyam Poddar
चाहत से जो आरंभ हुआ, वो प्रेम अनूठा खेल,
चाहत से जो आरंभ हुआ, वो प्रेम अनूठा खेल,
पूर्वार्थ
Quote...
Quote...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तेरे संग एक प्याला चाय की जुस्तजू रखता था
तेरे संग एक प्याला चाय की जुस्तजू रखता था
VINOD CHAUHAN
Loading...