आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्वर में गीत गाने लगती है वहीं पर पतझड़ आने पर उसे छोड़कर चली जाती है।
यानी की इससे सिद्ध होता है कि सभी लोग केवल अपने स्वार्थ के सिद्ध करने में लगे हुए है।
RJ Anand Prajapati