आम की टोकरी
आम का सीजन था, पेड़ में लदा लद फले थे आम
बच्ची ने पूछा फिर अम्मी क्या है, इस फल का नाम
बच्ची ने पुकार लगाई, अम्मी फिर भागी दौड़ी आई
अम्मी ने कहा बेटी सीमा ये हैं, फलों का राजा आम
बच्ची ने कहा अम्मी तोड़ोगी क्या, खाते आज शाम
बगान में लगाये है, दो ही फल एक आम एक जाम
आम तोड़े खटा खट टोकरी भरी, खत्म किया काम
निकल चले बेचनें हाट को, टोकरी से भरी आम को
चिल्लाकर बेच रहे, फिर 60 रुपये हैं, आम के दाम
बच्ची भी चिल्ला चिल्लाकर, खेल-खेल में बेचे आम
बड़े रशीले मीठे स्वाद वाले स्वादिष्ट है , साहेब आम
छोटी टोकरी उठा कर घर चले, जब होने लगा शाम
खूब बिका था आज आम लिया फिर प्रभु का नाम
पैदल चलकर पहुँचे घर को तब कहाँ हे राम हे राम
मेहनत में ही है बेटी सीमा वो कासी तीर्थ चार धाम
बेटी के टोकरी से निकाले आम कहाँ बेटी ले ईनाम
ना करना गुस्सा लाडो रानी यही तो हैं, अपना काम
तु अच्छे से पढ़, शिखऱ को छू, तेरा ऊँचा हों मुकाम
࿐࿐࿐࿐࿐࿐࿐࿐
स्वरचित
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)
14/अगस्त/2021 शनिवार