आमों वाले दिन(2)
आये भैया देखो फिर से आमों वाले दिन
खट्टे खट्टे मीठे मीठे स्वादों वाले दिन
खूब रसीले खरबूजे तरबूजों वाले दिन
प्यारी प्यारी बचपन वाली यादों वाले दिन
लंगड़ा चौसा और दशहरी खूब उड़ाते थे
घर गंदा करने पर माँ की डांटे खाते थे
प्यारे थे छत पर सोने की रातों वाले दिन
प्यारी प्यारी बचपन वाली यादों वाले दिन
मज़ा बहुत आ जाता था कच्ची कैरी खाकर
नये अचारों की खुशबू से महका रहता घर
याद अभी भी मस्ती मौज बहारों वाले दिन
प्यारी प्यारी बचपन वाली यादों वाले दिन
बचपन में तरबूज देखकर मन ललचाता था
काली जामुन पर सबका झगड़ा हो जाता था
प्यारे थे वो अपने भाई बहनों वाले दिन
प्यारी प्यारी बचपन वाली यादों वाले दिन
पेड़ आम का भी था इक नानी के आंगन में
चढ़ कर उस पर खेला करते थे हम बचपन में
लगते हैं अब तो वो जैसे ख्वाबों वाले दिन
प्यारी प्यारी बचपन वाली यादों वाले दिन
25-06-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद