-आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया हो गया –
– आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया हो गया –
कितना कमाए कितना बचाए ,
हिसाब डावाडोल हो गया,
खर्च बढ़ते नवजात शिशु से,
आमदनी बुढ़ापे सी घटती जाए,
व्यापार मंदा हो रहा,
व्यापारिक प्रतिस्पर्धा बढ़ती जाए,
आधुनिकता के मद में हर चीज महगी होती जाए,
आधुनिक परिवेश में ,
आजकल के सभ्यता संस्कृति वाले देश में,
भरत गहलोत के दिल से निकली आहे आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया हो गया,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184