आभ बसंती…!!!
हाइकु
आभ बसंती
सुर्ख रंगो से रंगी
प्यारी तितली।
नन्हीं तितली
बैठी जब फूल पे
नोंच ली गई।
था उर मेरा
स्वछंद तितली सा
बिंधा शूल से।
पाँख तितली
बसंत सुशोभित
इंद्रधनुषी।
फूलों के झूले
झूलती निसदिन
सोम्य तितली।
नीलम मन
विलुप्त तितली सा
प्रेम मगन।
नीलम शर्मा ✍️