“आभास”
“आभास”
पलट जाता पल पल,दिनों का फेर…यही खेल!
सम्भव का असम्भव से मेल,आज झेल!
आशा को ना छोड़,कल होगा..नया मोड़!
बीस की बुराई,इक्कीस की अच्छाई,
नई कल्पना,नई उम्मीद,तंदुरुस्ती की सीख,
छोटी सी किरण..भरोसा लाई!
खुद को सम्भाल,शायद हो कमाल!
सब्र तो बड़ा,सामने खड़ा,
वक्त ही तो…जाने दो ज़रा!
पुराना दूर, नया सुरूर,कुदरत का दस्तूर!
सुनहरा सा पल,आशावादी कल..एक तमन्ना, एक आस्था, एक कल्पना, एक सच्चाई, एक अहसास, एक विश्वास, एक सपना…वर्ष हो अपना!
हो आभार,नया हो खुशहाल????
✍?सपना
(बैंकॉक, थाईलैण्ड)