#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
#आभार-
■ एक नए सौपान पर।
【प्रणय प्रभात】
इस मंच पर ज्ञात-अज्ञात सुधि मित्रों के प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग से आज एक और आयाम स्थापित हुआ है। बीते 22 महीने के सृजन पर आज 6 लाख व्यूज़ अंकित हो गए हैं। आभार प्रकट करना चाहता हूँ, कृतज्ञता की भावनाओं के साथ।
दो भाषाओं की लगभग सभी प्रचलित विधाओं में प्रस्तुत छोटी-बड़ी 3467 रचनाओं के माध्यम से पिछला आयाम 3 लाख से अधिक घोषित व लगभग 50 हज़ार अघोषित शब्दों का उपयोग कर स्थापित किया था। जिसे अब 5 लाख तक ले जाने का मन है, संकल्प नहीं। पता नहीं, अपने राम जी कब चल दें तीर-कमान उठा कर।
प्रतिक्रिया या अनुगमन की बात करना बेमानी है, क्योंकि उसके मानदंड यहां अलग हैं। प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया के प्रत्युत्तर की शायद रीति नहीं है। अनुगमन भी सशर्त है। मतलब वही। इस हाथ ले, उस हाथ दे। मैं शर्तों के साथ सम्बन्धों का विरोधी हूँ। इसलिए स्थिर-चित्त साथी चाहता हूँ। भागने वाले मुझे नहीं सुहाते। लौट आएं, तब भी। पढ़ता उन सब को हूँ, जो जुड़े हैं। नोटिफिकेशन निरंतर देखता हूँ, ताकि प्रतिक्रिया पर तत्समय उत्तर दे सकूं। तमाम व्यस्तताओं के बाद भी।
प्रतिक्रिया व पसंद का प्रतीक अंकित करना सम्भवतः शान के विरुद्ध है, सहयात्रियों के लिए। कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता मुझे। मेरा काम लिखना है। लिख रहा हूँ, दम से। फॉलोअर्स की संख्या को लेकर फ़िक़ होती तो योरकोट पर 10 हज़ारे पोस्ट्स व 4 हज़ार सक्रिय व समवादप्रिय फॉलोअर्स छोड़ कर आपकी इस बस्ती में क्यों आता? जिन हालातों से जूझते हुए जीवंत हूँ, लिखना नहीं चाहता। इस मंच पर और कब तक हूँ, आज की स्थिति में मुझे ख़ुद नहीं पता।
मानक व मापदंड-रहित ट्रेंडिंग में घूम-फिर कर शामिल 30 महानुभावों में केवल एक महाशय मुझ से आगे हैं। “केवल” रचनाओं व शब्दों की संख्या (क्वांटिटी) के मामले में। वो भी पिछले 6 साल से यहां होने के कारण। समय व रचना के अनुपात में वे भी बहुत पीछे हैं। लिखते अच्छा हैं, इसमें कोई दो-राय नहीं। ऐसे में आपके व्यूज़ से स्पष्ट है कि शब्द-शब्द पढ़ा जा रहा है मुझे भी। लाइक, कॉमेंट, फॉलो को लेकर किसी से कोई आग्रह या अपेक्षा भी नहीं। धन्यवाद, मात्र व्यूज़ के आधार पर आपकी इसी पाठकीय या दर्शकीय अभिरुचि के लिए है। पढ़ते रहिए बस। जब तक हूँ, तब तक। जय राम जी की।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)