Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2024 · 2 min read

#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।

#आभार-
■ एक नए सौपान पर।
【प्रणय प्रभात】
इस मंच पर ज्ञात-अज्ञात सुधि मित्रों के प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग से आज एक और आयाम स्थापित हुआ है। बीते 22 महीने के सृजन पर आज 6 लाख व्यूज़ अंकित हो गए हैं। आभार प्रकट करना चाहता हूँ, कृतज्ञता की भावनाओं के साथ।
दो भाषाओं की लगभग सभी प्रचलित विधाओं में प्रस्तुत छोटी-बड़ी 3467 रचनाओं के माध्यम से पिछला आयाम 3 लाख से अधिक घोषित व लगभग 50 हज़ार अघोषित शब्दों का उपयोग कर स्थापित किया था। जिसे अब 5 लाख तक ले जाने का मन है, संकल्प नहीं। पता नहीं, अपने राम जी कब चल दें तीर-कमान उठा कर।
प्रतिक्रिया या अनुगमन की बात करना बेमानी है, क्योंकि उसके मानदंड यहां अलग हैं। प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया के प्रत्युत्तर की शायद रीति नहीं है। अनुगमन भी सशर्त है। मतलब वही। इस हाथ ले, उस हाथ दे। मैं शर्तों के साथ सम्बन्धों का विरोधी हूँ। इसलिए स्थिर-चित्त साथी चाहता हूँ। भागने वाले मुझे नहीं सुहाते। लौट आएं, तब भी। पढ़ता उन सब को हूँ, जो जुड़े हैं। नोटिफिकेशन निरंतर देखता हूँ, ताकि प्रतिक्रिया पर तत्समय उत्तर दे सकूं। तमाम व्यस्तताओं के बाद भी।
प्रतिक्रिया व पसंद का प्रतीक अंकित करना सम्भवतः शान के विरुद्ध है, सहयात्रियों के लिए। कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता मुझे। मेरा काम लिखना है। लिख रहा हूँ, दम से। फॉलोअर्स की संख्या को लेकर फ़िक़ होती तो योरकोट पर 10 हज़ारे पोस्ट्स व 4 हज़ार सक्रिय व समवादप्रिय फॉलोअर्स छोड़ कर आपकी इस बस्ती में क्यों आता? जिन हालातों से जूझते हुए जीवंत हूँ, लिखना नहीं चाहता। इस मंच पर और कब तक हूँ, आज की स्थिति में मुझे ख़ुद नहीं पता।
मानक व मापदंड-रहित ट्रेंडिंग में घूम-फिर कर शामिल 30 महानुभावों में केवल एक महाशय मुझ से आगे हैं। “केवल” रचनाओं व शब्दों की संख्या (क्वांटिटी) के मामले में। वो भी पिछले 6 साल से यहां होने के कारण। समय व रचना के अनुपात में वे भी बहुत पीछे हैं। लिखते अच्छा हैं, इसमें कोई दो-राय नहीं। ऐसे में आपके व्यूज़ से स्पष्ट है कि शब्द-शब्द पढ़ा जा रहा है मुझे भी। लाइक, कॉमेंट, फॉलो को लेकर किसी से कोई आग्रह या अपेक्षा भी नहीं। धन्यवाद, मात्र व्यूज़ के आधार पर आपकी इसी पाठकीय या दर्शकीय अभिरुचि के लिए है। पढ़ते रहिए बस। जब तक हूँ, तब तक। जय राम जी की।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)

1 Like · 11 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अड़चन
अड़चन
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"कुछ भी नहीं हूँ मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हो जाती है रात
हो जाती है रात
sushil sarna
जंजालों की जिंदगी
जंजालों की जिंदगी
Suryakant Dwivedi
कुंंडलिया-छंद:
कुंंडलिया-छंद:
जगदीश शर्मा सहज
*कुछ संयम कुछ ईश कृपा से, पापों से बच जाते हैं (हिंदी गजल)*
*कुछ संयम कुछ ईश कृपा से, पापों से बच जाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हृदय द्वार (कविता)
हृदय द्वार (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
कवि रमेशराज
*जो कहता है कहने दो*
*जो कहता है कहने दो*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
खुद निर्जल उपवास रख, करते जो जलदान।
खुद निर्जल उपवास रख, करते जो जलदान।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
Arghyadeep Chakraborty
वर्तमान के युवा और युवतियां महज शारीरिक आकर्षण का शिकार हो र
वर्तमान के युवा और युवतियां महज शारीरिक आकर्षण का शिकार हो र
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
इशरत हिदायत ख़ान
शे
शे
*प्रणय प्रभात*
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
It's just you
It's just you
Chaahat
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
भोर काल से संध्या तक
भोर काल से संध्या तक
देवराज यादव
जो बालक मातृभाषा को  सही से सीख  लेते हैं ! वही अपने समाजों
जो बालक मातृभाषा को सही से सीख लेते हैं ! वही अपने समाजों
DrLakshman Jha Parimal
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
Shweta Soni
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
Loading...