आभार
***** काव्य निलय *****
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पद्य में होता गद्य का विलय
छंदमुक्त कविता बिना लय
शब्दों और भावों का संचय
मनोभाव का काव्य निलय
जब मन में आते सुंदर भाव
दिल में होते हैं उत्पन्न चाव
शब्दों का सटीक रखरखाव
सृजित हो कविता बहुमूल्य
हो नहीं जीवन में अवसाद
झलकता रहता केवल स्वाद
भाव और कला का संवाद
बन जाता है पद्यांश अमूल्य
तड़के बिन बनती दाल नहीं
स्वास्थ्य बिन कोई हाल नहीं
सुर और लय बिन ताल नहीं
भावहीन कविता है निर्लक्ष्य
मनसीरत कविता रंग भरती
माला मोतियों से रहे जड़ती
नीर से बहाव सी रहे चलती
भावमय पद्य का नहीं मूल्य
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)