आभार आपका जो कंठ मेरा चुना.
तमन्नाओं रुख मोड़ लो अपना,
ये घर घर नहीं रहा अब..तुम्हारा अपना,
जाग गया.. वो ,,
जो अक्सर हर किसी का नहीं जगता,
अब चैन है अमन है हर गुस्ताखी लीला है उसकी,
.महेंद्र.
तमन्नाओं रुख मोड़ लो अपना,
ये घर घर नहीं रहा अब..तुम्हारा अपना,
जाग गया.. वो ,,
जो अक्सर हर किसी का नहीं जगता,
अब चैन है अमन है हर गुस्ताखी लीला है उसकी,
.महेंद्र.