आफत आई( बाल कविता)
आफत आई( बाल कविता )
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दंगा कर्फ्यू मार- कुटाई
देखो बच्चों आफत आई(1)
खेलकूद सब बंद हो गया
दिन भर आती है सुस्ताई (2)
बड़े न जाने क्यों लड़ते हैं
बच्चों ने तकलीफ बताई(3)
बच्चों जैसे रहना सीखो
देखो मस्ती कैसी छाई (4)
भेदभाव है कब बच्चों में
बचपन की है यही बड़ाई(5)
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर