आप ही जिंदगी
आप आए जिंदगी में महमा बन कर
पर रहे मेरे दिल में जिंदगी बनकर;
जिंदगी की राह में;
जिंदगी की ही चाह थी;
पर समय का फेर ही कुछ ऐसा था;
की वो बेपरवाह थे;
बहुत दर्द दिए जिंदगी ने;
पर जिंदगी यूं ही चलती रही;
समय की धारा में;
यह यूं ही ढलती रही;
समय ने एक बार फिर करवट ली;
मिले आप हमें दोबारा;
दिल किया कि दे दे ;
आपको यह जीवन सारा;
पर बहता हुआ दरिया;
बीता हुआ समय
ना लौट के आता है;
पर सच्चिदानंद से जुड़कर;
फिर से नयी पहचान मिली;
निस्सार हुए इस जीवन को;
जीवन की राह आसान मिली।।
अहले तदबीर से;
फिर से दो दिल एक जान हुए;
प्राणनाथ तुम जीवन के;
फिर से नए सोपान हुए ।।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’
अंबाला हरियाणा।(15.09.19)
6:31pm (रविवार)