ख़्वाब हमारे आंखों में जाने कितने लहराए हैं।
ख्वाब हमारे आंखों में जाने कितने लहराए हैं।
दिल में आकर मेरे बसे हैं नींद चुराने आए हैं।
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कितनी प्यासी प्यासी धरती अंबर को मालूम नहीं।
तेरी घनेरी जु़ल्फ के बादल मस्ती में लहराए हैं।
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जाने कितने बरसों में दिल में कोई उतरा है।
पता नहीं कैसे वह दिल में मेहमां बन के आए।
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कितने दिन से मिलने की ख्वाहिश दिल में लिए “सगीर”।
मेरी बाहों में वह आकर जाने कितना शर्माए हैं।