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18 Mar 2022 · 1 min read

ख़्वाब हमारे आंखों में जाने कितने लहराए हैं।

ख्वाब हमारे आंखों में जाने कितने लहराए हैं।
दिल में आकर मेरे बसे हैं नींद चुराने आए हैं।
❤️
कितनी प्यासी प्यासी धरती अंबर को मालूम नहीं।
तेरी घनेरी जु़ल्फ के बादल मस्ती में लहराए हैं।
❤️
जाने कितने बरसों में दिल में कोई उतरा है।
पता नहीं कैसे वह दिल में मेहमां बन के आए।
❤️
कितने दिन से मिलने की ख्वाहिश दिल में लिए “सगीर‌”।
मेरी बाहों में वह आकर जाने कितना शर्माए हैं।

1 Like · 189 Views
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