आप हमसे यूँ मिले है शह्र में
आप हमसे यूँ मिले है शह्र में
गुल ही गुल के सिलसिले है शह्र में
अपनी सूरत आप ही देखा किये
आईने ही आईने हैं शह्र में
पांव के छाले अभी तक कह रहे
पै ब पै हम तुम चले है शह्र में
उम्र भर को आश्ना हमसे हुए
अजनबी ऐसे मिले है शह्र में
जिनकी किस्मत मंजिलें पाना नहीं
ऐसे भी कुछ रास्ते है शह्र में
कल कोई फिर ख्वाब पीकर मर गया
आज उसके तज़किरे है शह्र में
दम ब दम साया जो देते थे कभी
पेड़ वो काटे गये है शह्र में
नज़ीर नज़र