आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें ह
आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें है, आप नौकर से अनुशासन और संस्कार सिखाने की अपेक्षा कर रहें है। आप न तो जमीर पे हो न जमीन पे हो। यदि किसी समाज या देश में शिक्षक स्वतत्त्र नहीं तो वो देश स्वतंत्र कैसे हो सकता है।