Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2021 · 1 min read

आप या तुम

डॉ अरुण कुमार शास्त्री

मुझे लगता है
कि तुम से आप
और आप से तुम
हो जाना कोई
मुश्किल काम नहीं
जैसे अब तुम्ही को
ले लो , कब आप से
तुम हो गई ,
लड़ती हो तो
मजबूरन मुझे मनाने में
जो ऊर्जा लगानी पड़ती है
थक जाता हूँ
फिर वापिस उसी
क्षमता को एकत्रित
करने में कितना समय नष्ट हो जाता है
मुददा क्या होता है
इस झगड़े का
कि तारीफ नही करी
नए हेयर स्टाइल की
नए सूट की
क्यों कि तेरे मेरे रिश्ते में
सेंध लगाने वाले
मौका ढूंढते रहते हैं
कब तू निकले लपक लें
और कुछ नही तो
हेयर स्टाइल सूट के बहाने से
थोड़ी गुफ्तगू करलें
और तुम नारीसुलभ अज्ञान से
लदी फंदी मुझपे बरस
पड़ती हो
कमल कितना अच्छा लड़का है
उसे लड़कियों की
पसंद नापसंद का सब पता है
अब उसकी इन खूबियों से
मेरा क्या वास्ता
मैं तुम्हें आत्मा से चाहता हूँ
और वो शरीर से
बस यही कसूर है मेरा
मुझे वही दिखती है हरपल
कोमल एहसास लिए
शुद्ध सुसंस्कृत मेरी सखी
और उन्हें तुझमें
पंजाब कौर ,
तो मैं क्या करूं

Language: Hindi
1 Like · 418 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
*नीम का पेड़*
*नीम का पेड़*
Radhakishan R. Mundhra
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
बचपन याद बहुत आता है
बचपन याद बहुत आता है
VINOD CHAUHAN
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
Mohan Pandey
गम के बगैर
गम के बगैर
Swami Ganganiya
शिकारी संस्कृति के
शिकारी संस्कृति के
Sanjay ' शून्य'
अजनबी
अजनबी
Shyam Sundar Subramanian
"मैं" एहसास ऐ!
Harminder Kaur
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
शेखर सिंह
जिंदगी के कुछ कड़वे सच
जिंदगी के कुछ कड़वे सच
Sûrëkhâ
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मनुष्यता कोमा में
मनुष्यता कोमा में
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"लबालब समन्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
2782. *पूर्णिका*
2782. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खुला आसमान
खुला आसमान
Surinder blackpen
होली मुबारक
होली मुबारक
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तस्मात् योगी भवार्जुन
तस्मात् योगी भवार्जुन
सुनीलानंद महंत
कहते  हैं  रहती  नहीं, उम्र  ढले  पहचान ।
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
sushil sarna
यदि आपका स्वास्थ्य
यदि आपका स्वास्थ्य
Paras Nath Jha
हर मसाइल का हल
हर मसाइल का हल
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हारा प्यार अब मिलता नहीं है।
तुम्हारा प्यार अब मिलता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
चवन्नी , अठन्नी के पीछे भागते भागते
चवन्नी , अठन्नी के पीछे भागते भागते
Manju sagar
मुझे दूसरे के अखाड़े में
मुझे दूसरे के अखाड़े में
*प्रणय प्रभात*
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
चार लोग क्या कहेंगे?
चार लोग क्या कहेंगे?
करन ''केसरा''
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*कोरोना- काल में शादियाँ( छह दोहे )*
*कोरोना- काल में शादियाँ( छह दोहे )*
Ravi Prakash
अजनवी
अजनवी
Satish Srijan
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...