आप में हे क्या आप खुद् बेखबर हैं
आपकी सादगी ही आपका हुनर है
आपके ख्याल ही आपकी नज़र है
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यूं न इतराईये कामयाबी पे जनाब
चार दिन की चाँदनी न कोई सहर है
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चढ़के सर बोलती है कामयाबी यहाँ
है ये मीठा मगर ये तीखा जहर है
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मिलिये इक बार ख़ुद से भी ज़नाब
आप में है क्या आप ख़ुद बेखबर है
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करिये न ऐतबार यूं ही कपिल कभी
ऐतबार भी आज ख़ुद इक खबर है
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कपिल कुमार
31/08/2016