Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Oct 2024 · 1 min read

आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अप

आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अपने जीवन में आप उसी की ओर आकर्षित हो रहे होते हैं।
RJ Anand Prajapati

23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
मोहब्बत।
मोहब्बत।
Taj Mohammad
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
Rajesh vyas
एक भ्रम जाल है
एक भ्रम जाल है
Atul "Krishn"
सोहर
सोहर
Indu Singh
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
पूर्वार्थ
बारिश की हर बूँद पर ,
बारिश की हर बूँद पर ,
sushil sarna
तीर्थों का राजा प्रयाग
तीर्थों का राजा प्रयाग
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
Neelofar Khan
* चाह भीगने की *
* चाह भीगने की *
surenderpal vaidya
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
Sonam Puneet Dubey
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
प्रदाता
प्रदाता
Dinesh Kumar Gangwar
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
Ravi Prakash
दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
मुझे तुम अपनी बाँहों में
मुझे तुम अपनी बाँहों में
DrLakshman Jha Parimal
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
तुम में और हम में फर्क़ सिर्फ इतना है
shabina. Naaz
" अन्तर "
Dr. Kishan tandon kranti
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।
सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
🙅#पता_तो_चले-
🙅#पता_तो_चले-
*प्रणय*
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
पंकज परिंदा
4308.💐 *पूर्णिका* 💐
4308.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
सहूलियत
सहूलियत
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
Dr fauzia Naseem shad
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
Loading...