आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
कौन तुम्हारा असली साथी ,जत्थे को बस मत देखो।
संविधान का राज प्रखर है ,किस्मत जैसी बात नहीं ।
शिक्षित बनो संगठित हो लो, मत्थे को बस मत देखो।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘