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8 Aug 2023 · 3 min read

आप और हम जीवन के सच

आप और हम जीवन के इस भाग में हम अपनी कहानी जोकि कल्पना के तहत लिखी गई है परंतु हो सकता है कि आप सभी को इस जीवन के सच्चे शब्दों का कुछ अच्छा असर लगे और प्रेरणा मिले कि हम आज देख रहे हैं देश में लव जिहाद बलात्कार और युवा लड़कियों और लड़कों का प्रेम प्रसंग और आत्महत्या करना ऐसे प्रकरण से हम लोग सभी जीवन में सच के साथ कोई ना कोई तो हमारा अपना या पड़ोसी या भाई बंधु या कोई अजनबी पर वह होता तो मानव या इंसान ही है जो कि ईश्वर अल्लाह कुदरत की बनाई मूरत होता है क्या हमने जीवन के साथ में कभी यह सोचा है कि पड़ोसी के घर में आग लगती है तो वह आज हमारे घर में भी लग सकती है बस इसी जीवन के सच के आधार पर हम यह सोचे कि जीवन में केवल आज आता है न कि कल है आता है। फिर भी हम कल के लिए वादा करते हैं कि कल हम यह काम कर देंगे सच तो बस एक बस उम्मीद तो होती है परंतु क्या कभी कल आता है आज हमारे देश में और पश्चिमी देशों की सभ्यताओं के साथ हम अपने देश में तुलनात्मक रूप से देखते हैं तो हम लोग मूर्ति पूजा और ईश्वर को मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों में खोजते है क्या जीवन में यह सोचा है जिस माता-पिता ने हमें जन्म दिया उसकी मृत्यु के बाद हम उसकी बात क्यों नहीं करते या इबादत पूजा क्यों नहीं करते हैं जब कि हम उनकी संपत्ति और विरासत और नाम के साथ हैं। और तुम्हें जन्म दिया है वह तो हमारे लिए एक भगवान के स्वरुप है तब हम उस भगवान को कैसे भूल जाते हैं और हम बचपन से खेले भाई बहन को शादी के बाद एक दूसरे की धन-संपत्ति और खूबसूरती से मन ही मन मैं जलन द्वेष और न जाने झूठ फरेब रखते हैं ऐसा क्यों सोचे क्योंकि मानव की सोच यही है कि सब कुछ मेरा है और मैं ही श्रेष्ठ पर अच्छा हूं और मेरी सोच ही सच सही है बाकी सब गलत हम किसी बूढ़ी महिला बूढ़े पुरुष को अपनी कार या बाइक से जल्दी में हम कहीं जा रहे हैं तो वह हम से टकरा जाता है तो हम यही सोचते हैं देखो कैसा पागल है सामने ही मरने और टकराने आ गया बस हम यह नहीं सोचते कि वह भी किसी मुश्किल या मुसीबत में हो सकता है आओ जीवन की सच में इस भाग में हम सोचे और खुद को बनाएं या बदले इस देश में हम युवा और भी सोचें और समझें की हर किसी को जवानी बुढ़ापा और बचपन के दौर से गुजरना पड़ता है बस सोच इतनी है कि हमारी आर्थिक स्थिति उस समय कैसी थी अब कैसी है आगे कैसी होगी इस जीवन परिवेश में क्या मुसीबत देखी या क्या खुशियां देखी बस सोच सकते है तो सोचे और देश में सभी को सहयोग करने की कोशिश करें भला ही वह शादी के लिए लड़की की समस्या हो किसी निसंतान को बच्चे की समस्या हो या कुछ भी मैं तो यह भी कहूंगा कि आज के दौर में अगर तो हम उस के साथ जुड़कर आधुनिक युग में उसे वेश्यावृत्ति से रोक करके एक सहारा बन सकते हैं और अपने साथ संयुक्त करके उसको संतान का सुख भी दे सकते हैं बस धन और लालच की भावना ना हो तब देखिए हर इंसान में मानवता होती है और वह किसी न किसी तरह एक दूसरे का सहयोग जरूर करना चाहेगा मेरी सोच मेरी कल्पना तो यही है क्योंकि आज से 10 20 वर्ष पहले भी किसी ने सोचा ना था कि मोबाइल या आधुनिकरण की इतनी उपकरण या हमारे लिए ऐसे अत्याधुनिक चीजें बन सकती हैं या एक करोना काल भी आ सकता है आज हम जीवन में यही सोच सकते हैं कि आओ हम सब मानवता के साथ महिला पुरुष और पड़ोसी पड़ोसी एक दूसरे का सहयोग करें और जीवन में समरसता लाएं आज आप ट्विटर या पोर्न फिल्मों को देखते हैं देखते हैं कि हमारे देश में कितनी नारियां हिंदू मुसलमान सिख ईसाई कोई धर्म तो नहीं है परंतु हम सभी कहीं न कहीं एडल्ट फिल्में छुप कर या चाहत में देखते हैं तो आओ इस छुपाओ को खत्म करके एक आधुनिक विचारधारा में मिलकर एक समाज और खुले विचार के साथ बनाएं अब आगे की सोच अगले अंक में लाते हैं अगर मेरी कल्पना या यह सोच में कोई बुराई नजर आए तो हमें जरूर लिखें मिलते हैं
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
1 Like · 152 Views
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