आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच में आज हम सच और कल्पना के साथ सोशल मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ हमारा संत समाज का देश और दायित्व के साथ सहयोग हम सभी देशवासियों को देश के सच और सही राह पर जीवन का लक्ष्य और महत्व समझ आए।
आप और हम जीवन के सच में आज आधुनिक परिवेश और व्यवस्था में संसारिक आकर्षण और दायित्व का निर्वाह भी हम सभी को समानाधिकार से करना होगा और मन भाव से हम सभी देशवासी अपने जीवन में रिश्तों के साथ सम्मान और सहयोग को भी भूल जाते हैं और आज अपने स्वार्थ और दिखावे के साथ जीवन जीते हैं ऐसे ही देश में पहला पहलू समाजिक जागृति के साथ सोशल मीडिया का नाम है उसमें पत्रकार सोशल ऐप और तकनीक का अनुसरण का सही ढंग से पालन हो। आज सोशल मीडिया पर अधिकतर अपने सेल्फी और परिवारिक जन्मदिन और शादी की सालगिरह आदि के ऐसे सोशल मीडिया सामाजिक और व्यवस्था के साथ दायित्व का अनुसरण हो। आज हम सोशल मीडिया को अपनी समस्याओं और सुझाव सरकार तक साझा करे। जीवन में हम सभी अपने विचारों और दायित्व का पालन करते ही कहाँ हैं बस एक बात कह देते है हम अकेले क्या कर सकते हैं और ऐसे ही आज हम सभी का रिश्तों से अपना स्वार्थ और मतलब रहता है। जबकि हम सभी एक माता पिता की संतान होते है जिस घर में पैदा होकर पालन पोषण के साथ खेलकूद कर बढ़े हुए। आज वही हम बुढ़े माता पिता के भावनाओं को नहीं समझते हैं और वही बहन और भाई आज संपत्ति विवाद और आप और हम जीवन के सच में माँ बेटा भी संपत्ति के लालच और न्यायालय के दरवाजे पर पहुंचा जाते है आप और हम जीवन के सच में हम सभी सोचे अपनत्व और संस्कार का पतन हो रहा है दिल में प्यार और मानवता की जगह एक दूसरे के सुख और सुविधा की ईर्ष्या और छल फरेब पल रहे है। केवल किस लिए एक संपत्ति और जायदाद का गलत उपयोग और माया पिता का भी पक्षपात कही न कही संतान के साथ हो रहा है आज हम बहु को बेटी न समझे तो पराया भी तो न समझे बस जिसने आपके परिवार को अपनाया है उसे समझे और सबसे बड़ी विडंबना की आज नारी ही नारी की दुश्मन है भाभी को ननद और ननद को भाभी नहीं भाती है ऐसा केवल अपना भाग्य या सोच कहे।
आप और हम जीवन के सच में आज संत समाज का सम्मान और सहयोग देश के नागरिकों के लिए सेवाभाव और सहयोग बना है परन्तु आज देश में संन्यासी साधु और संत के आश्रम करोड़ो की सम्पति और दान के नाम पर मनमाने ढंग ऐसा क्यों? आप और हम जीवन के सच में आज हम सभी देशवासी मतदाता हैं और जीवन में हम सभी कही न कही सच कहने से डरते है और केवल अपने स्वार्थ और अपने परिवारवाद में पड़ोस को भी भूल जाते है आप और हम जीवन के सच में आज आधुनिक परिवेश में हम सभी केवल धन और शोहरत दौलत चाहते है बस सोच और मानसिकता के साथ खुशी का जीवन और जीविका का वास्तविक राह मानवता और जनहितार्थ भावनाएं समान भाव जीवन का समर्पण करना और अर्थ हम सभी भूलते जा रहे है आप और हम जीवन के सच में अगर हम समानाधिकार और व्यवस्था के दायित्वों का नियम और दायित्व के साथ सहयोग करे तब जीवन एक सुखद अहसास के साथ एक राह बन सकती है। आप और हम जीवन के सच में हम माता पिता को बुढ़ापे में उनको वृद्ध आश्रम और अनाथाश्रम वृद्धा निकेतन विधवा आश्रम और न जाने कैसे उनको मानसिक और वैचारिक रुप से रखते है जबकि जिन माता पिता ने जन्म दिया और पालन पोषण करके आप को एक आत्मनिर्भर बनाया और अपने बुढ़ापे में सुख की आशाएं और जरुरत समझी तब क्या गलत है आज हम सभी आप और हम जीवन के सच में मन और भाव से सोचे कि हम साधु संत के सत्संग सुनने और अपना समय देते है और स्वंय की समझ और बदलने का प्रयास नहीं करते हैं और दूसरों में गलती निकालना और अपने अंहम वहम को न समझना ही आज जीवन में सबसे बड़ी मानसिकता है।
आप और हम जीवन के सच में आज हम सभी सच से भागते हैं जबकि हम सभी समझते है कि गलत और सही बस केवल मन और भाव के संग बात केवल अपनी सोच और समझ पर निर्भर करती है। आज बहु बेटी न बने परन्तु एक नारी की स्वेच्छा और समर्पण भाव तो समझ सकती हैं परन्तु हम सभी संसारिक आकर्षण और दायित्व का मोल अनमोल है और हम सभी समाज के साथ साथ अपने जीवन में रिश्तों का महत्व और भावनाएं ही जरुरी हैं हम सभी जीवन में केवल मन और विचार के साथ स्वंय को सही और गलत का निर्णय करते है तब हम सभी कुदरत और प्रकृति के साथ ईश्वरीय पंचतत्व का अनुसरण भी सच समझते है
आप और हम जीवन के सच में निसंतान दम्पतियों और अधेड़ निसंतान शिक्षित बेरोजगारों को सहयोग न देकर उनको मजाक का पात्र बनाकर हम अपने जीवन के साथ भविष्य भी नहीं सोचते है और जब हम उस समय तक पहुचे है तब तक वह समय निकल चुका होता है और क्षमा माँगने और कहने के अवसर भी नहीं रह जाते है बस आज आप और हम जीवन के सच में संत और समाज के साथ सोशल मीडिया का नाम पर सभी का दायित्व देश और देशवासियों के के साथ होना चाहिए । परन्तु ,आज हम सभी केवल अपने स्वार्थ और लालच में दूसरों के लिए अच्छा सोचते भी नहीं है और आप और हम जीवन के सच में आज न सच है न दायित्व और सोशल मीडिया का नाम है पर सामाजिक आर्थिक स्थिति के साथ राजनीति हो रही है। आज हम सभी को समानाधिकार और अपने मताधिकार के महत्व को समझकर जीवन में सच और दायित्व का पालन करना चाहिए।
आप और हम जीवन के सच में आज का सच पढ़कर अपनी सोच और मन भाव बताए। पढ़ते रहे आप और हम जीवन के सच…… जारी है