आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच में एक अनूठे रोमांच और उम्र के अंतर को समझदारी से निभाने के साथ फिर भी हम कहां तक बात को समझ पाते हैं आज हम आप और हम जीवन के सच में इसी पहलू पर सच और कल्पना की इस कहानी में आगे बढ़ेंगे एक नगर मुरादाबाद है उसमें एक परिवार है जहां परिवार में माता-पिता दो बेटी और एक बेटा खुशहाल जीवन जिंदगी जीते हैं परंतु पिता एक छोटा सा व्यवसाय करता है और वह अपनी जवानी के दिनों से बच्चों की युवावस्था तक उनको पालता खिलाता और मध्यम वर्ग के साथ से जीवन यापन करता है आज के दौर में बच्चे युवा जो पहले स्कूल फिर कॉलेज में शिक्षा लेते हैं और उच्च शिक्षा के दौरान आधुनिक डिजिटल वातावरण में योग में बहुत से परिवार के लोग अमीर और गरीब सभी तरह के मिलते हैं उसी के तहत हम अपने परिवार अपने आप को तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं कहां तक सही है आओ हम सोचते हैं और इस कहानी में संदेश लेते हैं कि जीवन में आप और हम सच के कितने करीब हैं तो यह है उम्र का जो अंतर है वही सबसे बड़ा समझदारी का विषय है एक पति की शादी अपने से 10 वर्ष छोटी लड़की से हो जाती है और वह उसकी पत्नी बन जाती है स्वभाविक है उम्र के साथ सोच और व्यवहार में परिवर्तन जरूर होता है ऐसा ही उन बच्चों के साथ मैं अपने पिता से कहते हैं जब कॉलेज में शिक्षा लेते हैं पिता जी आपने हमको पैदा ही क्यों करा जबकि आपकी आमदनी या आपका कोई काम व्यवसाय सही नहीं था तब आपने हमारी मां की जिंदगी खराब क्यों करें आप इससे अच्छा तो विवाह ना करते और न हम को जन्म देते क्योंकि आज समाज आधुनिक है और आप हमारी जरूरत को पूरी नहीं कर पाते हैं तब पिता ने कहा अब आप सब भी समझदार हो गई हो अपना अपना जीवन स्वयं देखो और अपनी समझदारी से जीवन जियो इस बात पर पत्नी कहती है बच्चे सही तो कह रहे हैं गलत कहा कह रहे हैं पति अपनी पत्नी से कहता है आप सही कह रही हैं क्योंकि जब आप और हम विवाह के बंधन में बंधी थी तब समाज और जमाना कुछ और था क्योंकि उस समय और अब समय में बहुत परिवर्तन है अब हम केवल धन और दिखावे की ओर दौड़ रहे हैं और पहले हम मानवता और एक सम्मान और इज्जत के लिए सोचा करते थे आज आधुनिक युग में कपड़ों का कम होना और बी डन खानपान से भी जीवन की मुश्किल बढ़ी हैं परंतु हम लोग इसी को आधुनिक युग कहते हैं पर सोचने की बात यह है कि जीवन की सच आप और हम समझ सकते हैं कि जीवन तो केवल दो विचारों का मिलन है और उस विचारों के तहत ई हम जीवन खुशी और ना खुशी से जीते हैं बस आज का संदेश यही है कि हमारे जीवन में कहीं ना कहीं उम्र के ज्यादा अंतर को हम विचारों से समझ नहीं पाते हैं जीवन की सच आप और हम में आज हम बस यही कहेंगे कि आज भी हम देखते हैं आज भी बहुत से उदाहरण हैं छोटी उम्र की लड़की बड़े उम्र के लड़के के साथ शादी कर लेती हैं और जीवन का महत्व समझती हैं परंतु केवल जीवन के सच में आप और हम विचारों के महत्व को ही जीवन कहते हैं आप और हम जीवन के सच में बस यही ऊपर दिए परिवार का सारांश है की हम जीवन में बच्चों के लिए कुछ भी कर दें परंतु जीवन के अंत में आजकल के बच्चे यही पूछते हैं कि आपने हमारे लिए किया ही क्या है और हम अपने दिखावे और झूठी शान के लिए अपनी जीत के लिए उनकी तारीफों के पुल बांधते रहते हैं जोकि समाज के दृष्टिकोण में आगे चलकर एक दुष्परिणाम होता है आओ आप और हम जीवन के सच में जीवन को एक नजरिए और सोच के साथ देखें तब केवल हम अपना दायित्व और सहयोग प्रदान करें उम्मीद और आशाएं केवल ईश्वर या स्वयं से करें आज जीवन का आप और हम में एक संदेश यही है कि उम्र के साथ अंतर को हम समझदारी और सहयोग से खुशहाल बनाए।