आप और हम जीवन के सच…………. हमारी सोच
आप और हम जीवन के सच में प्रस्तुत कर रहे हैं एक सच और कल्पना के साथ भी सच आज की आधुनिक नारी जो कि एक मां बहन पत्नी बुआ मौसी ना जाने कितने पवित्र रिश्तों के साथ बंधी जुड़ी है परन्तु क्या?
आज इस समाज में हम आधुनिक युग में रिश्ते नाते सच की ओर ले जा रहे हैं न बस हम झूठ और छलावा और द्वेष ईषया के साथ जीवन के सच को भी झुठला से रहे हैं आप सच माने या ना माने पर जीवन का सारा दारोमदार एक नारी के साथ ही चलता है वह नारी ही जो कि एक पत्नी मां बहन बेटी का धर्म निभा सकती है हम सभी जानते और समझते हैं। परंतु आज शारीरिक मानसिक और मन की चंचलता के साथ हम सभी रिश्तों को भूलते जा रहे हैं और यही सच भी है भूलने का कारण, हम आज के माता-पिता भी संतान के पालन पोषण देखभाल पर गौर नहीं करते हैं।
आज हम बच्चों की परवरिश केलिए बाई और आया रख कर धन कमाने में लगे रहते हैं। हम सभी इसके साथ-साथ अपने बच्चों को संस्कार और रिश्ते नाते बताना भूल ही जाते हैं बस इसी भागदौड़ की जिंदगी में मानसिक उधेड़बुन के कारण हम ना रिश्ते समझ पाते हैं ना रिश्ते निभा पाते हैं क्योंकि जो सच है वह भी झूठ नजर नहीं आता है और झूठ है वह तो झूठ है ही, आज हम किसी भी बालिग या बड़ी बिटिया या लड़की को अपने रिश्ते के भाई चाचा और ऐसे और भी रिश्ते होते हैं ।
जो कि आज के युग में पवित्र होकर या न रहकर बदनाम है जिसमें एक सबसे अच्छा रिश्ता है देवर भाभी का जो कि आज आधुनिक परिवेश में सही दृष्टि से नहीं देखा जाता हैं। यह सब हमने स्क्यं ही किया हैं । सच तो यह है कि मानव के एक शरीर रचना और आज के मानव का आधुनिक रंग ढंग और पहनावा भी हमें सोचने पर मजबूर करता है। मन भावों में हम सभी कही न कही मन में सच के साथ जीने के लिए आज हम सभी तैयार नहीं है ।
क्योंकि एक कहावत है जैसी संगत वैसी रंगत और जैसा अन्न वैसा मन होता हैं। आज हम एक बात दूसरों के लिए कह देते हैं कि कलयुग चल रहा है। परन्तु आज हम परिवारों में देखते हैं लड़कियों की बढ़ती उम्र में शादी न होना और उनकी मानसिकता को न समझ पाना बस यहीं से अपराध बोध मन शुरू होता है ।
क्योंकि वह माता-पिता यह नहीं सोचते कि जो हमने जवानी में शारीरिक संबंध बनाकर बच्चे पैदा करें। तो वही इच्छा आज भी शारीरिक और बढ़ती उम्र के साथ होती है। आज जो मेरी बेटी के रूप में या बहन के रूप में परिवार में रह रही है उसको भी शारीरिक संबंध या मन भावों की अनुभूति और मानसिक चंचलता की जरूरत है।
इन सभी बातों को न देखते हुए ही हम भूल जाते हैं कि आज देश में लव जिहाद जैसे अपराध के साथ जी रहे हैं। और आज हम इंटरनेट के जमाने में भी देख सकते हैं कि बच्चे पोर्न वीडियो जरूर देख सकते हैं क्योंकि उनके मन और चंचलता माता-पिता के साथ तालमेल नहीं खाती है। और वह अंधेरी गली में भटक जाते हैं। आज सभी माता पिता अपनी जिंदगी और व्यवस्तता के कारण ,आज जीवन में कोई माता-पिता अपने बच्चों के साथ नहीं सोता है सभी को आधुनिकता में अलग बेड रूम अलग सोने के कमरे या अलग सोने का का कमरा जरूर होना चाहिए। बस आज यही अलगाव धीरे धीरे अकेलापन और मन की सोच बदल रहा है।
क्योंकि हम आज बहुत स्वार्थी हो चुके हैं सच तो यह है कि आज सबसे ज्यादा शारीरिक वासना और मन में नारियों के पहनावे को लेकर दृष्टि गलत हो चुकी है आप और हम जीवन के सच के साथ कहानी कल्पना के रूप में आधुनिक समाज का सच पढ़ रहे हैं और सच तो बहुत कड़वा है जो कि लिखा भी नहीं जा सकता है।
आजकल रिश्तों में भाभी देवर बुआ भतीजे ऐसे रिश्ते भी जो कि हम सोच भी नहीं सकते हैं। ऐसी स्थितियों में देखे जाते हैं बस हम इतना ही कह सकते हैं कि आज केवल नजर बचाकर और अपने आप को स्वच्छ और सच बता कर जीवन जीने की कला आधुनिक मानव सीख चुका है सच तो हम सभी जानते हैं आप और हम जीवन के सच में जो कि एक कटु और कड़वा सच है।
आज हम सभी पत्रिका में प्रकाशित विज्ञापन की अवेहलना नहीं करते हैं जो अर्धनग्न या अंतःवस्त्र के साथ हैं हम समाज स्वयं है बस आप और हम जीवन के सच में हम पाठक ही किरदार हैं। आप और हम जीवन सच में हकीकत और कल्पना के साथ हैं। और जिंदगी एक सफर रंगमंच का नाम है। आप और हम जीवन जीवन के सच में पढ़ते रहे। और आपकी प्रतिक्रिया का सहयोग मिले।
आप और हम जीवन के सच में अलग अलग कल्पना और हकीकत के लेख कहानी के साथ मिलते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र