आप उतरकर तुम तक आया,
आप उतरकर तुम तक आया,
क्या खोया और क्या है पाया।
स्वयं स्वयंभू बन बैठे हम,
किसको है हमने अपनाया।
न जागे हम तब भी निद्रा से,
ओछेपन को तुमने अपनाया।
मन्थन करो या पश्चाताप,
बस होगा तुझको पछतावा।
श्याम सांवरा…
आप उतरकर तुम तक आया,
क्या खोया और क्या है पाया।
स्वयं स्वयंभू बन बैठे हम,
किसको है हमने अपनाया।
न जागे हम तब भी निद्रा से,
ओछेपन को तुमने अपनाया।
मन्थन करो या पश्चाताप,
बस होगा तुझको पछतावा।
श्याम सांवरा…