आप आये हो साथ निभाने को
आप आये हो साथ निभाने को
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आप आये हो साथ निभाने को,
गीत – नग़मे आलाप सुनाने को।
आरजू रहती है शेष जिगर अंदर,
मौत से अपना हाथ मिलाने को।
पास आओ यार सदा मेरे,
हक़ सदा ही हम पर जताने को।
ख़्वाब तेरे हर वक्त लगे आने,
रोज प्यारी सी बात बताने को।
शाम आई रंगीन नसीबों से,
वो बहारें यूँ मौज उड़ाने को।
बांवरा मनसीरत न समझ पाया,
आँख में आँसू खूब रुलाने को।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)