Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 2 min read

आप्रवासी उवाच

“आप्रवासी उवाच”

उसने शहर को छोड़ा या शहर ने उसको, ये बहस की बात होगी,
पर एक बात, तो हर हाल में तय है, अपनाया दोनों ने नहीं था

घर की जगह जब मकानों ने ली, पैसा कमाने वो शहर चल दिया,
बंट गई मां की ममता, बाप का प्यार, पर जताया दोनों ने नहीं था

शहर और शहरियों ने, उसे पनाह तो दी थी, मगर अपनी शर्तों पे,
मुर्गियों से बदतर होंगे इंसानी दड़बे, ये बताया दोनों ने नहीं था

सुबह शुरू तो होती थी उम्मीद से, हर शाम टूट कर ही ढलती थी,
इधर घर में भी थी, लाख दुश्वारियां, पर दिखाया दोनों ने नहीं था

आया तो वो इंसान था, बदलते हालातों ने कठपुतली बना दिया,
मुकद्दर का खेल कहें या समय का फेर, नचाया दोनों ने नहीं था

बेहतरी की जगह जाने कब हुशियारी ने लेली, पता ही नहीं चला,
पैसों की धुरी पर घूमता सपनों का संसार, बसाया दोनों ने नहीं था

नौकरी तब होती थी मालिक से और मालिक भी होते थे चाकरों के,
हर तरफ फैला, ठेकेदारी का ये बाज़ार, सजाया दोनों ने नहीं था

तरक्की के कुछ उसूल भी हुआ करते हैं, हम सभी ये भूल गए,
मौकापरस्ती है ब्योपार, ये सबक तो समझाया दोनों ने नहीं था

अजीब आलम है अब, न वो रहा यहां का, ना ही वहां का रह पाया,
होगी इन हालातों में उसकी घर वापसी, ये सोचा दोनों ने नहीं था

उसने शहर को छोड़ा या शहर ने उसको, ये बहस की बात होगी,
पर एक बात, तो हर हाल में तय है, अपनाया दोनों ने नहीं था

~ नितिन जोधपुरी “छीण”

2 Likes · 83 Views

You may also like these posts

दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*कफन*
*कफन*
Vaishaligoel
नहीं बची वो साख पुरानी,
नहीं बची वो साख पुरानी,
manjula chauhan
सुरक्षित सभी को चलने दो
सुरक्षित सभी को चलने दो
Ghanshyam Poddar
जीवन में जो कुछ भी आप अपने लिए करते हैं, वह आपके जाने के साथ
जीवन में जो कुछ भी आप अपने लिए करते हैं, वह आपके जाने के साथ
ललकार भारद्वाज
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
बसेरा
बसेरा
Chitra Bisht
4272.💐 *पूर्णिका* 💐
4272.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
किसी दिन ....
किसी दिन ....
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यूँ   ही   बेमौसम   बरसात  हुई।
यूँ ही बेमौसम बरसात हुई।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
,,........,,
,,........,,
शेखर सिंह
अंजान बनकर चल दिए
अंजान बनकर चल दिए
VINOD CHAUHAN
* आख़िर भय क्यों ? *
* आख़िर भय क्यों ? *
भूरचन्द जयपाल
परमेश्वर की वार्ता
परमेश्वर की वार्ता
महेश चन्द्र त्रिपाठी
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
*प्रणय*
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
Kumar Kalhans
धरती का बुखार
धरती का बुखार
Anil Kumar Mishra
*एकांत का सुख*
*एकांत का सुख*
ABHA PANDEY
Neet aspirant suicide in Kota.....
Neet aspirant suicide in Kota.....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रुक्मणी
रुक्मणी
Shashi Mahajan
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
महंगाई एक त्यौहार
महंगाई एक त्यौहार
goutam shaw
അക്ഷരങ്ങൾ
അക്ഷരങ്ങൾ
Heera S
" माप "
Dr. Kishan tandon kranti
শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
Loading...