आपस में सभी भाई-भाई हैं !
आपस में सभी भाई-भाई हैं !
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लड़ते हैं…., झगड़ते हैं….
कभी गले भी मिलते हैं !
एक साथ उठते, बैठते हैं !
किसी-किसी बात पर तो….
शिकवा,शिकायत भी करते हैं !
ये सब हो जाने दो न ! आखिर…
आपस में सभी भाई-भाई हैं !!
खुद ही जीते हैं….
खुद ही हर काम करते हैं !
पर एक दूसरे के प्रति….
दिल में दया भाव भी रखते हैं !
कोई जब किसी दु:ख में हो तो….
आपस में दु:ख-दर्द मिल बाॅंट लेते हैं !
और ऐसा हो भी क्यों न ! आखिर…
आपस में सभी भाई-भाई जो हैं !!
एक-दूसरे की हर ज़रूरत में
सदा काम भी आते हैं !
एक-दूसरे की खोज-खबर
हर पल ही रखा करते हैं !
दूर – दूर ही सदा रहते हैं ,
पर पास-पास अनुभव करते हैं !
एक दूसरे की भावनाओं की
बेहतर कद्र भी किया करते हैं !
और ऐसा हो भी क्यों न ! आखिर…
आपस में सभी भाई-भाई जो हैं !!
चाहे कोई उत्सव-त्योहार हो….
या शादी-विवाह का अवसर हो !
चाहे किसी के भी घर में….
ज़रा सी भी कोई हलचल हो !
कभी किसी भी मसले पर….
यदि कोई गहन चिंतन हो !
तुरंत एक ही इशारे पर….
दौड़े-दौड़े चले आते हैं सब !
और ऐसे सारे ही मसले को….
सब मिल सुलझा लेते हैं झट !
और ऐसा हो भी क्यों न ! आखिर…
आपस में सभी भाई-भाई जो हैं !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 15 अक्टूबर, 2021.
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