आपस में क्यों बैर परिंदे।
आपस में क्यों बैर परिंदे।
ले ले सबकी ख़ैर परिंदे।
दिल कमज़ोर हुआ है जब से,
रोज करें अब सैर परिंदे।
जितनी लंबी चादर उतने,
खोलो लंबे पैर परिंदे।
कौन यहाँ सुनता है किसकी,
हर कोई है गैर परिंदे।
साबित ख़ुद को करना है तो,
बिन पंखों के तैर परिंदे।