Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2017 · 1 min read

आपसे क्यों मुहब्बत हुई

आपसे क्यों मुहब्बत हुई
प्यार की तू इमारत हुई

दिल बहक जब गया आप पर
प्यार की तब इबादत हुई

हो गई है खता कोन सो
जो यहाँ यह वकालत हुई

जब बहस छिड़ गई तीन अप
तब बड़ी ही फजीहत हुई

जब हुई बात मुद्दे पे तो
खूब जमकर सियासत हुई

मर्द तो यह समझता सरल
बाप के लिए अजीयत हुई

खूब हल्ला मचा इस पे तो
बात फिर तो शर्रियत हुई

रूख कट्टर धर्म का हुआ
पर न कोई जहानत हुई

आपसी भेद से दिल बटे
बीच उनके मसाफत हुई

डॉ मधु त्रिवेदी

75 Likes · 528 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
Ravi Betulwala
अपने हर
अपने हर
Dr fauzia Naseem shad
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
बेघर एक
बेघर एक "परिंदा" है..!
पंकज परिंदा
3698.💐 *पूर्णिका* 💐
3698.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
संत गुरु नानक देवजी का हिंदी साहित्य में योगदान
संत गुरु नानक देवजी का हिंदी साहित्य में योगदान
Indu Singh
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
वो हमको देखकर मुस्कुराने में व्यस्त थे,
Smriti Singh
अहोभाग्य
अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
..
..
*प्रणय*
अनसोई कविता...........
अनसोई कविता...........
sushil sarna
ताई आले कावड ल्यावां-डाक कावड़िया
ताई आले कावड ल्यावां-डाक कावड़िया
अरविंद भारद्वाज
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
आकाश महेशपुरी
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
राम का आधुनिक वनवास
राम का आधुनिक वनवास
Harinarayan Tanha
मैंने रात को जागकर देखा है
मैंने रात को जागकर देखा है
शेखर सिंह
प्रेम हो जाए जिससे है भाता वही।
प्रेम हो जाए जिससे है भाता वही।
सत्य कुमार प्रेमी
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
manjula chauhan
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
Loading...