आपदा में अवसर
इस महामारी को अवसर बनाके,
कुछ लोग भर रहे अपनी जेब।
हर तरफ लूट मची है,
खेला जा रहा घिनौना खेल।
मानवीय मूल्यों का कोई मोल
नही,
आपदा को अवसर बनाने वाले
दिख रहे है हर कहीं।
निजी अस्पतालों का रहा है
सबसे बड़ा योगदान,
लाशों से पैसा कमाके फिर
भी बन रहे महान।
वेक्सीन वेंटिलेटर की करके
कालाबाजारी,
भरी इन्होंने अपनी तिजोरी।
मरीज़ तड़पता रहा ऑक्सीजन
के लिए,
डॉक्टर तड़पाता रहा मरीज़ के परिजनों
को पैसे के लिए।
विवेक शून्य होकर व्यापारी,
खूब किया इन्होंने जमाखोरी।
बढ़ाकर खाद्य वस्तुओं के दाम,
आम आदमी को किया परेशान।
किसी बड़े नेता ने कहा आपदा को
अवसर बनाओ,
कुछ बेइमानों ने समझा आपदा
में रुपये कमाओ।
कोरोना महामारी ने तन्त्र की
भी खोली पोल,
सरकारी दफ्तरों में दिखाई दिये
बड़े ही झोल।
क्या मजाल थी किसी की आपदा को
अवसर बनाता,
यदि सरकारी दंड उनके ऊपर जोर
से चला होता।
सरकार से इनको नही लगता है डर,
कहते है अपनी पहुंच है ऊपर तक।
(स्व रचित)……आलोक पाण्डेय