फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
*** कृष्ण रंग ही : प्रेम रंग....!!! ***
"घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज मह
तुझे हमने अपनी वफ़ाओं की हद में रखा हैं,
बहुत ही खूब सूरत वो , घर्रौंदे याद आते है !
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ईश्वर का आशीष है बेटी, मानवता को वरदान है।