आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहेगी, इसे ही भविष्य कहते हैं, जो आनेवाली पीढ़ियों को प्रकाशवन रखती हैं।
“निशि न अनल मिलि सुनु सुकुमारी।
अस कहि सो निज भवन सिधारी।।”
शुभरात्रि