आपकी यादें
आंखें छलकती है, यादों में मेरीं।
छवि सदा वस गई है दिल में तुम्हारी।।
कभी आंखें भर देती हैं, यादें।
तो कभी दिल को छू लेती हैं, यादें।।
मन को बेचैन कर देती हैं, यादें।
तो कभी सुकून खो देती हैं, यादें।।
कभी जीवन में खुशियां भर देती हैं, यादें।
तो कभी मुस्कान भी छीन लेती हैं, यादें।।
क्या कहूँ, मैं कभी दिल भर आता हैं।
तो कभी मन बहुत घबराता हैं।।
हम कुछ नहीं जानते हैं।
मगर खुदा से बढ़कर आपको मानते हैं।।
रचना मौलिक, स्वरचित एवं अप्रकाशित हैं।
नाम – लोकेश शर्मा “लेखक”
खेड़ली, (अलवर), राजस्थान