“ आपकी मौनता आपकी अकर्मण्यता दरसाती है ”
डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
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समाज साधारणतया तीन वर्गों में विभाजित है ! और समाज ही क्यों हरेक क्षेत्र में ये तीन प्रजातियाँ पायीं जातीं हैं! साधारण ,मध्यम वर्ग और ऊँच्च वर्ग के वर्गीकृत परिवेश शायद ही विलुप्त हो पाएंगे ! इस संक्रामक से हमारा “ फेसबुक “ भी संक्रमित होने से नहीं बच सका ! सारे रोगों का इलाज है पर इस संक्रामक का कोई “बुस्टर डोज” नहींबन पाया !
साधारण और मध्यम वर्ग को परिभाषित करने की आवश्यकता उतनी नहीं है जितनी हमें ऊँच्च वर्ग को जानना परखना और परिभाषित करना आवश्यक हैं ! समदर्शी गूगल के प्रयत्नों ने सबों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया ! क्या बड़ा ,क्या छोटा,क्या स्त्री ,क्या पुरुष ,क्या मूक ,क्या बधिर,क्या ट्रैन्ज़्जेन्डर सब के सब को “ फेसबुक फ़्रेंड्स “ का सम्बोधन प्राप्त हुआ !
ऊँच्च वर्ग से हमारा यह कथमपिअभिप्राय उन श्रेष्ठ गुरुओं ,माता -पिता ,भाई -बहन और सक्रिय प्रजातान्त्रिक परिवेशोंमें चलने वाले लोगों से नहीं है जिनके यदा -कदा आशीर्वाद ,स्नेह ,आभार की अमृत धाराएं बहती रहती हैं ! हमें यह एहसास भी नहीं होता कि इनलोगों का सानिध्य हमसे दूर है ! इनकेप्रोत्साहनों से हमारे सीने सदा ही 56” के हो जाते हैं !
यहाँ तो फेसबुक के रंगमंच पर हम ऊँच्च वर्ग के कलाकार को दूर से ही पहचान जाते हैं ! इनकी हरेक भंगिमा सुपर स्टारवाली होती है ! ये अपने अभिनय को ही बार -बार रिप्ले करके देखते हैं ! इनकी तारीफ होनी चाहिए ! इनकी तस्वीरों की चर्चा ,हवाई यात्रा ,जन्म दिन ,इनकी शादी की सालगिरह , गृह-प्रवेश ,पुस्तक विमोचन ,पुरस्कार इत्यादि फेसबुक में उभरता रहे परंतु जो इनके साथजुड़े हैं उनकी इन्हें परवाह नहीं !
हम मान सकते हैं कि सबके सब सहकर्मियोंऔर फेसबुक फ़्रेंड्स से संवाद नहीं हो सकता पर जो आपको कुछ लिखते हैं उसे दो शब्दों से तो आप सिक्त कर सकते हैं ! आपको कोई मैसेंजर पर धन्यवाद देता है तो मौन हो जाते हैं ! कोई कमेन्ट करता है तो अनसुना कर जाते हैं ! हमारी सकारात्मक प्रतिक्रियाओं से संवाद स्थापित होता है और प्रजातान्त्रिक परिवेशों की अनुभूति होती है ! आपकी मौनताआपकी अकर्मण्यता दरसाती है और आप बड़े नहीं छोटे हो जाते हैं ! ======================
डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत