आपका मिज़ाज
आपके मिज़ाज से हमारे दिल के तार जुड़े हैं,
आप हमसे दूर रह के भी हमारे पास खड़े हैं,
हमारी मुख्तसर मुलाक़ातों के चर्चे तो काई शाम हुए हैं
आँखें मिलने पर आपकी मुस्कान से दिल ने प्यार के कई ख़्वाब बुने हैं,
वर्ना तो बाकी दिन आपकी बेरुखी से मन ही मन हम मौत-ऐ-इस्तिवाब हुए हैं |