आन (दोहे)
(1)
आन बान औ’ शान है, जीवन की पहचान ।
अग़र नहीं ये तीन तो , जीवन मरे समान ।।
(2)
बेटा है यदि शान तो, बेटी भी है आन ।
इसीलिए देना हमें , दोनों पर ही ध्यान ।।
(3)
आन बचाना और की , सचमुच तेरी शान ।
ऐंसा जो करता रहे , समय रखेगा मान ।।
(4)
आन बान औ’ शान है , जीवन का आधार ।
जिस उर में तीनों रहें , होता वही उदार ।।
(5)
आन बान औ ‘ शान से , चलता यह संसार ।
जिस जीवन में ये नहीं , वह जीवन बेकार ।।
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।