!!!आने दो धरती पर उसको!!
बेटों की चाहत में यारों ,बेटी पर न जुल्म करो ।
आने दो धरती पर उसको, कोख में ही ना खत्म करो।
ना होगी गर जग में बेटी, कैसे संसार चलाओगे।
जिन बेटों पर नाज कर रहे, बहू कहां से लाओगे।
सारे जग की जननी बेटी, भेदभाव सब खत्म करो।
आने दो धरती पर उसको ,कोख में ही ना खत्म करो।।
रिश्ता ऐसा कौन सा है जो, बिन बेटी रह पाओगे।
बदलो सोच पुरानी अब तो, अच्छे पापा कहलाओगे।
दफ्तर दफ्तर देखे हमने, बेटी भी शान बढ़ाती है।
जिस सेवा में काम मिला, निसंकोच उसे कर जाती है।
अंधविश्वास में डूब के मित्रों, बेटी पर ना सितम करो।
आने दो धरती पर उसको ,कोख में ही ना खत्म करो।।
युग बदला है तुम भी बदलो, अधिकार उसे भी पाने दो।
परिवर्तन के दौर में उसको, सपने अपने सजाने दो।
युगो युगो को पढ़कर देखा ,हर युग में मान बढ़ाया है।
रिश्तो की बुनियाद बेटियां, दो परिजन को एक बनाया है।
बेटों सा सम्मान दिला कर, अनुनय बेटी पर रहम करो ।
आने दो धरती पर उसको, कोख में ही ना खत्म करो।।
राजेश व्यास अनुनय