आना शव यात्रा पर
क्यो तू फूल हुआ ,क्यो तू सस्ता है
तुझसे भारी तो मेरा स्कूली बस्ता है
हम दोनो एक ही आंगन के दो फूल
आँखें से देखी हिंदुस्तान गुलदस्ता है
मैं मर जाऊंगा तो आना शवयात्रा पे
मन्दिर हो या कब्र दोनों का ये रस्ता है
अशोक सपड़ा हमदर्द
क्यो तू फूल हुआ ,क्यो तू सस्ता है
तुझसे भारी तो मेरा स्कूली बस्ता है
हम दोनो एक ही आंगन के दो फूल
आँखें से देखी हिंदुस्तान गुलदस्ता है
मैं मर जाऊंगा तो आना शवयात्रा पे
मन्दिर हो या कब्र दोनों का ये रस्ता है
अशोक सपड़ा हमदर्द