आना चाहती हूँ …
आना चाहती हूँ … (प्रतियोगिता के लिए)
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मैं इस जग में आना चाहती हूँ
माँ तेरे दर्शन करना चाहती हूँ
जन्म देना तुम मुझे संसार में
मैं तुझसे कुछ कहना चाहती हूँ
रब को कहते सुना सुंदर है जग
मैं भी इसमें विचरना चाहती हूँ
मैं तेरे घर की माँ, शोभा बनूंगी
मैं कुमुदिनी सी खिलना चाहती हूँ
मैं भी खाना चाहती बाहर की हवा
माँ मैं पेट में ना मरना चाहती हूँ
पापा की गोदी में झूला झूलकर
वो अद्भुत आनंद लेना चाहती हूँ
भैया के संग जाऊंगी स्कूल मैं
माँ मैं भी तो पढ़ना चाहती हूँ
माँ तू भगवान है पृथ्वी-लोक की
माँ मैं तेरी पूजा करना चाहती हूँ
बेटी, तेरे अपने ही दुश्मन हो गये
करते वो जो मैं ना करना चाहती हूँ
– व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)
मोबा.नं. 9549165579