आनंद
संतोष ही आनंद की कुंजी है।
सत्कर्म ही मानव जीवन की पूंजी है।
इच्छाओं को पूर्ण करते जाओगे
इच्छाओं को और भी ज्यादा पाओगे
मानव की मानवता का हो रहा है ह्रास
मानव बनता जा रहा है इच्छाओं का दास
मानवता को बचाना हैं।
संबंधो में विश्वास को जगाना है
दुनिया अमन चैन यदि लाना है तो
मानव की मानवता को बचाना है।